मोतियाबिंद क्या है ?

डॉ. अभय आगाशे 
( फेको सर्जन )

ओरेंज सिटी हॉस्पिटल. खामला चौक, नागपूर

मोतियाबिंद कोई बिमारी नहीं हैं। हमारी आँख में मौजूद लेन्स मे बढती उम्र के साथ कुछ बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से दिखना कम हो जाता है। जिसको मोतियाबिंद कहा जाता है। ये बढती उम्र के साथ सबको ही होता है, कुछ लोगो में जल्दी तो कुछ में देरी से।

मोतियाबिंद किस उमर मे होता है?

मोतियाबिंद होने की कोई विशेष उमर नहीं हैं। ये बचपन में या जन्म से भी हो सकता हैं। लेकिन बच्चों में होने वाले मोतियाबिंद सामान्यतः किसी बिमारी की कारण होते हैं। बडे लोगो में मोतियाबिंद ३० साल की उमर से देखा गया हैं।

मोतियाबिंद के रिस्क फ़ॅक्टर्स क्या हैं? 

मोतियाबिंद कोई बिमारी नहीं होने के कारण उसके कोई सीधे रिस्क फ़ॅक्टर्स नहीं हैं। डायबेटिस, कुछ मेटाबोलिक डीसीज, स्टेरॉईड का सेवन यह कुछ कारण हैं जिनकी वजह से  मोतियाबिंद कम उमर मे हो सकता हैं। आँख में चोट लगने से भी मोतियाबिंद हो सकता हैं।

मोतियाबिंद के क्या लक्षण है?

नजर में कमज़ोरी यह सबसे मुख्य लक्षण है| रात को कम दिखाई देना, तेज धूप में कम दिखाई देना, रात को गाड़ी चलते समय परेशानी होना यह सब भी मोतियाबिंद के कारण हो सकते है |

मोतियाबिंद का क्या इलाज हैं?

मोतियाबिंद कि शुरुवात में चश्मे से फायदा हो सकता हैं।
पर जब चश्मे से भी साफ़ नहीं देख सकते, और अपने रोज के काम करने में परेशानी हो रही हैं, तब ऑपरेशन कराना चाहिए।
कोई आदमी बाहर के काम करता हैं, गाडी चलाता हैं, तो उसे ऑपरेशन जल्दी कराना पड़ेगा। और यदी कोई व्यक्ति घर में ही हो, बाहर जाने की ज्यादा जरुरत ना हो, तो उस व्यक्ति में ऑपेरेशन थोडी देर से करा सकते हैं।

मोतियबिंद का ऑपरेशन बहुत साधा होता है?

दूसरे ऑपरेशन की तुलना, मोतियाबिंद के ऑपरेशन में ज़्यादा समय नहीं लगता है | क्योंकि पुरे शरीर को निश्चेतना (अनेस्थेसिआ) देने की जरुरत नहीं पड़ती, इंजेक्शन देने की, टांके लेने की और पट्टी लगाने की भी जरुरत नहीं होती है | सिर्फ आँख में दवाई डाल कर भी ऑपरेशन हो सकता हैं |लेकिन यह सब कई सालों के अनुभव के बाद डॉक्टर यह कुशलता हासिल कर पाता है | अत्याधुनिक मशीनो से सर्जरी में और भी सुधार आया है | आम तौर पर इसे फेको कहा जाता है।

कम समय के ऑपरेशन का ये मतलब नहीं है की ये एक आसान ऑपरेशन है|  यह एक बहोत ही जटिल सर्जरी है जिसमे 0.5 मिलीमीटर की भी चूक होने पर पेशंट की आँख डैमेज हो सकती है | अनुभवी सर्जन से कोम्प्लीकेशन होने की संभावना काम होती है |

ऑपरेशन में कौनसा लेन्स डालना चाहिए ?

आँख में डालने के लिए मूलतः २ प्रकार के लेन्स होते है | मोनोफोकल और मल्टीफोकल | 

      मोनोफोकल : इसमें दूर की नजर साफ़ होती है और पास के काम करने के लिए चश्मा लगाना पड़ता है | ज्यादातर लोगों में यह लेंस इस्तेमाल होता है |

      मल्टीफोकल : इसमें  दूर और नज़दीक, दोनों ही दॄष्टि साफ़ होती है | चश्मे की जरुरत कम हो जाती है |

इन दोनों प्रकार की लेंसों में भारतीय और इम्पोर्टेड लेंस उपलब्ध है |

ऑपरेशन के बाद क्या सावधानी लेनी पड़ती है ?

दूसरे ऑपरेशन्स की तुलना मोतियाबिंद सर्जरी के बाद सावधानी कम लेनी पड़ती है | नियमित रूप से आँख में दवाई डालना अनिवार्य है | ऑपरेशन के १ सप्ताह बाद आप अपने काम पर जा सकते है |

यह सब सुविधायें ऑरेंज सिटी अस्पताल, नागपुर में उपलब्ध है | यहाँ मोतियाबिंद, काँचबिंद, रेटिना इन सभी बीमारियों के निष्णात डॉक्टर है और अत्याधुनिक मशीनो द्वारा ऑपरेशन किये जाते है |

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